Bihar election करिश्मा भरोसा ओर उम्मीद
इस बार का बिहार विधानसभा चुनाव कई मायनों में खास है,
एक ओर नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का करिश्मा है तो दूसरी ओर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का सामाजिक न्याय और रोजगार का एजेंडा। इनके बीच प्रशांत किशोर अपनी जनसुराज पार्टी को नए विकल्प के रूप में पेश कर रहे हैं। चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनर्रीक्षण (एसआईआर) का काम पूरा करके राज्य की अंतिम मतदाता सूची जारी कर दी है।
जल्दी ही बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा हो जाएगी। संभावना है कि दीवाली और छठ के पर्व के बाद बिहार में मतदान होगा और नई विधानसभा का गठन होगा और नई सरकार बनेगी। बिहार के मतदाता नरेंद्र मोदी के चुनावी करिश्मे, राहुल गांधी के सामाजिक न्याय की राजनीति, तेजस्वी यादव के उभार नीतीश की रेवड़ियों और प्रशांतकिशोर द्वारा जगाई गई उम्मीद के बीच किसे चुनेंगे।
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इस यक्ष प्रश्न का उत्तर भी बिहार की जनता के ही पास है।दोनों खेमे यानी एनडीए और महागठबंधन (इंडिया ब्लॉक) अपनी अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। जहां मतदाता सूचियों को दुरुस्त करने के लिए की जा रही चुनाव आयोग की कार्यवाही एसआईआऱ को मुद्दा बनाकर राहुल गांघी।
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